लेखनी प्रतियोगिता -27-Mar-2024
यात्रा
एक लम्बी यात्रा के सफर पर
चली थी तेरे साथ में इश्क में
नहीं वफ़ा की धार पर चली थी
मैं जानें क्यूं सब खोजते रहें किसी
अंजाने को जब मैं तेरी राहों में
अपनी यात्रा को सफल बनाने की
राह देख आई थी हंसती था जग
मुझ पर जब उसकी वफ़ा को सलाम
करती थी मैं शायद देख रहे थे वो
मेरी नज़रों से छुप गई तस्वीर की
झलक को वफ़ा की यात्रा में बेवफाई का
तमाशा हमने खूब देखा है जब उसकी
तस्वीर से ज्यादा उसकी नियत को
बदलते देखा।
राखी सरोज
नई दिल्ली
Varsha_Upadhyay
29-Mar-2024 11:53 PM
Nice
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kashish
27-Mar-2024 03:13 PM
Awesome
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Gunjan Kamal
27-Mar-2024 01:43 PM
👏🏻👌
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